21 August 2016

गठिया रोग का इलाज कैसे करे




arthritis gathiya rog in hindi


  
अर्थराइटिस यानी गठिया जोड़ो के दर्द के ऐसी बीमारी है , जिसके होने की कोई निश्चित वजह बता पाना बहुत ही मुश्किल होता है।  शायद इसलिए मेडिकल साइंस की भाषा में इसे auto -immune Disease कहते है।  आम जोड़ो के दर्द यानी  अर्थराइटिस में कोई एक बीमारी  न  होकर कई तरह की बीमारी का मिश्रण होता है।  जोड़ो में सूजन और हाथ -पैरो के जोड़ो में तेज दर्द होने लगता है।  लोग इसे बुजुर्गो की लाइलाज बीमारी मन बैठे है।  जब की यह सही नहीं है। 

 मानव immune system Protein ,biochemical , और Cells से मिलकर बनी हुई है।  यह शरीर को बाहरी चोटो से बचाते है।  और शरीर में बैक्टरिया तथा वायरस को प्रवेश नहीं करने देते लेकिन कभी कभार इनसे भी गलती हो जाती है , लिहाजा यह शरीर में मौजूद प्रोटीन्स को ही नष्ट करने लगता है। जिससे अर्थराइटिस जैसे auto -immune Disease हो जाते है। 

   अर्थराइटिस /गठिया 

मौजूदा तेज और बिज़ी lifestyle  के दौर में इंसान के भोजन में पौष्टिकता घटती जा रही है।  खासकर बाहरी भोजन और packed फ़ूड के सेवन से कई रोगों  का आक्रमण हो रहा है।  इससे भयंकर दर्द देनेवाली बीमारिया घर करती जा रही है।    अर्थराइटिस ऐसी ही भयंकर दर्द देनेवाली बीमारी है। जो शरीर के तमाम जोड़ो को प्रभावित करती है।  जपछले तो यह बीमारी 55 से 60 साल के लोगो को होती थी , लेकिंग अब यह बीमारी 40 से 45 साल के लोगो को भी अपना निशाना बना रही है।  शरीर में एसिड के मात्रा बढ़ाना ही इस बीमारी के होने का मुख्य कारण है। दूसरे शब्दो में अगर कहे , तो अर्थराइटिस का मतलब है जोड़ो में सूजन। 


  • भयानक पीड़ा देनेवाली बीमारी: 
 अर्थराइटिस का दर्द इतना तीव्र होता है की व्यक्ति को चलने-फिरने और घुटनो को मोड़ने में भी बहुत परिशानी होती है।  दरअसल , शरीर में यूरिक एसिड एसिड की मात्रा बढ़ने पर जोड़ो के सूजन आ जाती है।  इसी अवस्था को अर्थराइटिस कहते है।  सबसे बड़ी बात यह की सुजनवाली जगह पर तेज दर्द भी होने लगता है।  यह दर्द इतना जादा होता है की मरीज को चलत-फिरते समय घुटनो को मोड़ने में भी बहुत कष्ट होता है। 

  • ओवरवेट लोगो को खतरा जादा :
 अर्थराइटिस को जोड़ो का रोग भी कहते है।  घुटनो के जोड़ की हड्डी के घिसने से यह रोग होता है।  वैसे यह आमतौर से 50 साल की अवस्था के बाद लोगो को शिकार बनाता है।  यह रोग उनमे जादा होता है , जिसके वजन जरुरत से जादा है।  यह अनुवांशिक रोग भी हो सकता है।  मतलब , इसका असर लोगो के पीढ़ी दर पीढ़ी रहता है।  इसके अलावा घुटनो में चोट , जोड़ो को नुकसान और जोड़ो के आसपास के हड्डी टूटने  भी अर्थराइटिस  की शिकायत होती है। 


  • अर्थराइटिस/ गठिया  के लक्षण : 
मरीज अक्सर अच्छे और बुरे समय के बारे में बात करते है  या मौसम के साथ लक्षणों में बदलाव महसूस करते है।   अर्थराइटिस के आम लक्षण इस प्रकार है :

चलने फिरने से जोड़ो में दर्द।
घुटनो में अकडन आ जाती है।  
जोड़ो में सूजन भी हो जाती है। 
उंगलियो के जोड़ो में दर्द होना।
कंधो में दर्द होना।


 अर्थराइटिस  दो तरह के होते है। 
1  ऑस्टियो  अर्थराइटिस 
२ रयूमेटाइड  अर्थराइटिस 


 अर्थराइटिस का इलाज कैसे करे :


कब्ज से मुक्ति जरुरी :
अर्थराइटिस  बीमारी का पेट से सीधा संबंध होता है।  जिन लोगो का पेट ठीक से साफ नहीं होता या खाना ठीक से हजम नहीं होता , उनको अर्थराइटिस  होना का सबसे जादा खतरा होता है। इसलिए डॉक्टर कहते है की अर्थराइटिस  से मुक्ति होने के लिए कब्ज से छुटकारा पाना बहुत जरुरी है।  इसके लिए रोगी को कुछ दिन तक गुनगुना एनिमा देना चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो जाए। 

तांबे के बर्तन का पानी पिए :

तांबा यानी Copper अर्थराइटिस  के दर्द से बहुत हद तक आराम दिलाता है।  डॉक्टर की सलाह पर कई लोग तो अर्थराइटिस  के दर्द से बचने के लिए तांबे के बर्तन में रखा पानी पीते है।  इसका scientific Reason यह है की तांबे में मौजूद ऑक्सिकारणरोधी गन अर्थराइटिस में हो रही जलन को काम करने में मदत करते है। 

अर्थराइटिस  में अदरक संजीवनी के सामान: 

अर्थराइटिस  के दर्द को काम करने में अदरक रामबाण का काम करता है।  इसलिए कई डॉक्टर मरीजो को अदरक के सेवन की सलाह देते है ,क्योकि यह बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। रोजाना दो ग्राम अदरक दो बार लेने से अर्थराइटिस का दर्द बहोत कम हो जाता है।  हल ही में हुए मेडिकल रिसर्च में भी कहा गया है की सुप व सलाद के साथ अदरक का सेवन  अर्थराइटिस की समस्या में राहत देता है। 



एलोवेरा है अमृत :

एलोवेरा वैसे स्किन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।  लेकिन यह जोड़ो के दर्द में रामबाण इलाज है , एलोवेरा को सरसो की तेल में गर्म करके लगाने से जोड़ो के दर्द को कम किया जा सकता है।  एलोवेरा का सेवन केवल अर्थराइटिस  के दर्द में ही आराम नहीं देता , बल्कि अन्य बहुत साडी बीमारियों में भी यह फायदेमंद है।  एलोवेरा immune  System और ऊर्जा के स्तर को मजबूत करता है। 

Steam bath और Massage:

स्टीम बाथ और शरीर की मालिश अर्थराइटिस  में बहुत हद तक आराम देता है , सरसो के तेल में लहसुन का रस  कपूर मिलाकर मालिश करने से बहुत जादा आराम होता है। कई डॉक्टर कहते है जैतून से भी मालिश करने से अर्थराइटिस की पीड़ा कम हो जाती है। 

शहद :

रोजाना शहद में थोड़ी दालचीनी मिलाकर  गर्म पानी  के साथ सेवन करने से अर्थराइटिस   से जल्दी आराम मिलता है। 


हरी सब्जियों का रस पिए :

अर्थराइटिस  से जल्द जल्द छुटकारा पाने के लिए आपको हरी सब्जियों  का जूस सुबह खाली पेट रोजाना पीना होगा। लौकी, पत्तागोबी ,पालक,तरबूज ,खीरा , ककड़ी etc 

नमक और गरम पानी :

रोज रात को थोड़ा गरम पानी में नमक मिलाकर अपने जोड़ो को उससे सेंके। इससे आप को जरूर आराम मिलेगा। 
  
Exercise  करे :

अर्थराइटिस  के पीड़ित को नियमित एक्सरसाइज करनी चाहिए।  अगर आप को जादा हो रहा हो तो एक्सरसाइज ना करे। रोज  Morning Walk पे जाए।   
Morning Walk पे जाने के फायदे जानने  के लिए यहाँ Click करे। 

सूर्यनमस्कार के फायदे जानने के लिए यहाँ Click करे। 


योग करे :

नियमित रूप से योग करने से आप को अर्थराइटिस  में जरूर लाभ मिलेगा। 
योग के फायदे जानने के लिए यहाँ Click करे।  

संतरे निम्बू  का जूस पिए :

संतरे निम्बू में यूरिक एसिड को शरीर में कम करने की क्षमता होती है।  so आप रोजाना संतरे का जूस ले सकते हो। 

सुबह सुबह धुप में बैठे :  

 सुबह  की सुनहरी धुप में विटामिन D मौजूद होता है जो की हमारे हड्डियों के लिए अच्छा होता है। इसलिए सुबह सुबह धुप में बैठना चाहिए। 


दोस्तों इस तरीके से आप  अर्थराइटिस का इलाज कर सकते है। पर याद रहे आप एक अच्छे डॉक्टर या specialist की भी मदत ले सकते है। 

1 comment:

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